Raja aur Jyotish ki kahani in Hindi | लाचार हुआ राजा ज्योतिष के सामने
राजा और ज्योतिष की कहानी
एक राज्य था सिंधी नगर , वहां का राजा था महाराज भीमसेन देव जो अपने पत्नी को बहुत प्यार करता था। उसके राज्य में एक ज्योतिष रहता था. राज्य के सभी लोग ज्योतिष को पसंद करते थे, यानी कि वह एक अच्छा ज्योतिष था।
राजा भी ज्योतिष को मिलना चाहते थे इसलिए एक दिन बुलावा भिजवाया और कुछ समय के बाद ज्योतिष राज दरबार में हाजिर हुआ और राजा को देखते हुए प्रणाम महाराज बोला।
राजा – हमने सुना है कि तुम बहुत बड़े ज्योतिष हो सब की सटीक भविष्यवाणी करते हो।
ज्योतिष – नहीं महाराज मैं बड़ा ज्योतिष नही हूं , जो भी भविष्यवाणी करता हूं वह लोगों के लिए अच्छा नहीं होता, मैं लोगों की बुरे समय ही भविष्यवाणी करता हूं।
राजा सोच में पड़ गए- एक कैसा ज्योतिष है जो केवल बुरे समय बता सकता है मुझे तो लगता है यह कोई ढोंगी, पाखंडी ही होगा।
उस समय महारानी दरबार में आई और जा के राजा के पास खड़ी हो गई।
राजा – तुम बुरे समय ही बता सकते हो ना, ठीक है महारानी के हाथ देख कर बताओ उनके हाथों की लकीर क्या कहती है।
राजा की आज्ञा मान के रानी की हाथों की लकीर देखते हुए-
ज्योतिष – महाराज आपको जो भविष्यवाणी बताने जा रहा हूं, इसके लिए मुझे माफ कर दीजिएगा लेकिन यह सत्य है।
राजा – सत्य ही बोलो ज्योतिष..
ज्योतिष – महाराज आज से 8 दिन के बाद आपकी पत्नी की मृत्यु हो जाएगी।
ज्योतिष की यह बातें 8 दिन के बाद सही साबित हुई, रानी की मृत्यु हो गई। राजा गम में चले गए, राजा सोच में पड़ गए वह ज्योतिष की बातें जो सही साबित हुई , लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है । ना रानी कहीं बाहर गई है, ना उनके स्वास्थ्य खराब था, वह पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित राज महल में थे फिर भी ज्योतिष की वह बातें कैसे सही साबित हुई।
राजा को लगा ऐसे कैसे हो सकता है- इसमें दो बात सही हो सकता है या तो वह ज्योतिष सबसे अच्छा ज्योतिष है या अपनी बात साबित करने के लिए रानी की मृत्यु में उसकी हाथ तू नहीं है।
ये ज्योतिष ऐसे ही अपना काम करता रहा तो नगर के लिए अच्छा नहीं है। राजा ने फिर से वह ज्योतिष को बुलाने के लिए बुलावा भिजवाया।
राजा का योजना है कि वह ज्योतिष को मरवा देगा, उसे राजमहल के सबसे ऊपर बुला के उसे नीचे फेंक बा देगा और सैनिक को राजा ने कहा मैं जैसे ही इशारा दूं तुम लोग ज्योतिष को इस खिड़की के बाहर फेंक देना।
कुछ समय बीतने के बाद वह ज्योतिष आ पहुंचे
ज्योतिष – प्रणाम महाराज,
राजा से कुछ जवाब नहीं आया, ज्योतिष राजा के तरफ देखें और वह समझ गए आज राजा उसे नहीं छोड़ने वाले हैं , राजा इशारा देने से पहले, ज्योतिष को कुछ कहा-
राजा – ज्योतिष तुम सही हो, या गलत पता नहीं- लेकिन मेरी पत्नी महारानी मर गई , तुम्हारी भविष्यवाणी सत्य हो गई, लेकिन अब तुम बताओ “तुम्हारी मृत्यु कब होगी” , मुझे तुम्हारी भविष्यवाणी बताओ।
ज्योतिष को पता है राजा का यह वाक्य क्या इशारा दे रहा है। लेकिन ज्योतिष भी मुस्कुराते हुए कहा-
– महाराज, मेरी मृत्यु को में पहले से ही देख चुका हूं, ध्यान से सुनिए महाराज, मेरी मृत्यु कब होगी जब आप की मृत्यु होगी, उसके 3 दिन पहले मेरी मृत्यु होगी।
राजा यह सुनकर बड़े संकट में पड़ गए जब ए ज्योतिष मरेगा उसके 3 दिन बाद मेरी मृत्यु होगी, क्या यह सत्य है । इस बात को ध्यान में रखते हुए वह ज्योतिष को मारने की योजना को रोक दिया।
राजा डर गए वह ज्योतिष को चाहते हुए भी नहीं मार सकता, यह है एक बुद्धि के दम पर कार्य करने की फल जहां ज्योतिष की जीवन और राजा को पता चला कि ज्योतिष मरने के 3 दिन बाद वह भी मर जाएगा यह बात कितने दूर तक सत्य है किसी को पता नहीं लेकिन ज्योतिष के आजीवन देखरेख करने के लिए राजा मंत्री परिषद में घोषणा कर दिया।
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