Plato’s Biography in Hindi | ग्रीक फिलॉस्फर प्लेटो जीवन परिचय.

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हेलो दोस्तों आज हम जानेंगे प्लेटो के आदर्श राष्ट्र के बारे में उससे पहले  प्लेटो के जीवनी के बारे में कुछ जानेंगे। प्लेटो को क्यों अपने समय के एक महान दार्शनिक कहते हैं इस बारे में इस लेख में जानेंगे ।

Plato’s Biography in Hindi : प्लेटो के जीवन परिचय 

ई. पूर्व चौथी और पाँचवीं शताब्दी में प्लेटो यूनानी दार्शनिकों में सबसे अलग थे I पश्चिमी राजनीतिक दर्शन की शुरुआत प्लेटो से हुआ था । ई. पूर्व 427 में Athens और Sparta एक जैसे नहीं थे । उस समय दो राज्य में संपर्क अच्छा नहीं था । 

प्लेटो का जन्म 427 ई. पूर्व में एथेन्स के एक कुलीन  परिवार में हुआ था। उनके पिता अरिस्टोन Athens के  राजा कोर्डस के वंशज थे और मां पेरिकतिओन यूनान के सोलन कूल से थी। प्लेटो का वास्तविक नाम एरिस्तोकलीज था, उसके अच्छे स्वास्थ्य के कारण उसके व्यायाम शिक्षक ने इसका नाम एरिस्तोकलीज सेप्लाटोन रख दिया था। 

पूरी दुनिया में सबसे पहले Athens और Sparta मे ही  गणतंत्र शासन की शुरुआत हुई थी लेकिन प्लाटों के समय एथेंस में गणतंत्र शासन विलुप्त हो गया था एवं एथेंस और स्पार्टा इन दो  राज्यों के बीच में जंग छिड़ गया था जिसका नतीजा स्पार्टा द्वारा एथेन हार गया था । इस वजह से प्लाटों काफी दुखी थे।

प्लेटो 18 या 20 वर्ष की आयु में Socrates की ओर आकर्षित हुए थे। यद्यपि प्लेटो तथा Socrates में कुछ विभिन्नताएँ थीं लेकिन Socrates की शिक्षाओं ने इसे अधिक आकर्षित किया।प्लेटो Socrates का शिष्य बन गए। प्लेटो का गुरु Socrates । Socrates के विचारों से प्रेरित होकर ही प्लेटो ने राजनीति की नैतिक व्याख्या की, सद्गुण को ज्ञान माना, शासन कला को उच्चतम कला की संज्ञा दी और विवेक पर बल दिया। 

399 ई. पू. में Socrates को मृत्यु दण्ड दिया गया था । उस समय प्लेटो की आयु 28 वर्ष थी। उस घटना प्लेटो के मन को काफी आघात पहुंचाया था, वह राजनीति से विरक्त होकर एक दार्शनिक बन गए थे। उसने अपनी पुस्तक “Republic” में Socrates के सत्य तथा न्याय को उचित ठहराने का प्रयास किया है। वह उसके जीवन का उद्देश बन गया। Socrates को मृत्युदंड दिया जाने पर प्लेटो एथेन्स छोड़कर मेगरा  चले गए थे। क्योंकि वहां लोकतन्त्र से घृणा करने बाले लगेे थे।

मेगरा जाने पर प्लेटो के 12 वर्ष का इतिहास अज्ञात रह गया है। लोगों का विचार है कि इस दौरान वह इटली, यूनान और मिस्र आदि देशों में घूमते रहे। वह पाइथागोरस के सिद्धान्तों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए 387 ई. पू. में इटली और सिसली गए थे। सिसली के राज्य सिराक्यूज में उसकी साक्षात   वहाँ के राजा डायोनिसियस प्रथम से हुई थी। उसके डायोनिसियस से कुछ बातों पर मतभेद हो गए और उसे दास के रूप में इजारन टापू पर भेज दिया गया था। उसे इसके एक मित्र ने वापिस एथेन्स पहुँचाने में उसकी मदद की थी।

प्लेटो ने 386 ई.पू. में इजारन टापू से वापिस लौटकर अपने शिष्यों की मदद से एथेन्स में Academy खोले जिसको यूरोप का प्रथम विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। उस ने जीवन के last 40 वर्ष पढ़ने और पढ़ाने के कार्य में जीवन व्यतीत किए। प्लेटो की इस Academy के कारण एथेन्स  का ही नहीं बल्कि सारे यूरोप का बौद्धिक केन्द्र बन गया। उसकी अकादमी में गणित और ज्यामिति के अध्ययन पर विशेष जोर दिया जाता था। 

प्लेटो की Academy मे प्रवेश द्वार पर यह वाक्य लिखा था- “गणित के ज्ञान के बिना यहाँ कोई प्रवेश करने का अधिकारी नहीं है।” यहाँ पर राजनीतिज्ञ, कानूनवेता और दार्शनिक शासक बनने की भी शिक्षा दी जाती थी।

Books- Plato के द्वारा लिखी गई पुस्तक में से Republic, The statesman और The Laws अनोखे थे । रिपब्लिक में प्लेटो न्याय आदर्श राष्ट्र एवं आदर्श नागरिक के बारे में वर्णन किए हैं । इसके अलावा पाइथागोरस के द्वारा प्रभावित होकर उनके पुस्तक में गणितिय पद्धति की उल्लेख किए हैं ।

अपने किसी शिष्य के आग्रह पर वह एक विवाह समारोह में शामिल हुआ और वहीं पर सोते समय 81 वर्ष की अवस्था में प्लेटो की मृत्यु हो गयी।

प्लेटो के आदर्श राष्ट्र : (Ideal state of Plato elaborated in his book ‘the republic‘)

प्लाटों के द्वारा लिखित पुस्तक में से “द रिपब्लिक” अन्यतम । इस बुक में राजनीति, शिक्षा तथा सामाजिक क्षेत्र में दिखे जाने वाला विभिन्न समस्या और उसका समाधान के बारे में वर्णन किया गया है I इसके अलावा एक आदर्श राष्ट्र एक आदर्श नागरिक कैसा होना चाहिए वह भी वर्णन किया गया है I 

प्लेटो के समय में ग्रीक नगर राज्य में ज्यादातर अराजकता और भ्रष्टाचार तथा दुर्नीति बहुत था I लोगो को  जीवन बहुत ही कठिनाई और मुसीबत से भरा हुए था, इसलिए प्लाटों अपनी पुस्तक द रिपब्लिक में एक आदर्श राष्ट्र की परिकल्पना की थी I प्लेटो के अनुसार एक आदर्श राष्ट्र में ही एक नागरिक एक आदर्श नागरिक हो सकता है I 

प्लेटो के अनुसार व्यक्ति का लक्ष्य और राष्ट्र का लक्ष्य एक ही होता है क्योंकि एक व्यक्ति राष्ट्र का एक अंश होता है एवं व्यक्ति समूह को लेकर राष्ट्र निर्माण होता है I मनुष्य में 3 लक्षण होते हैं पहला है विवेक दूसरा मनोबल तीसरा तृषा I 

1. Rule of philosopher king : दार्शनिक राजा का शासन:

    प्लेटो के अनुसार  “If political power and scientific knowledge  Are not United in one person, Then there is no end of evil For the state And also for the making in general” इसका अर्थ राष्ट्र का राजा एक दार्शनिक होना चाहिए यानी कि सम्राट को दर्शन ज्ञान होना चाहिए नहीं तो नगर और नागरिकों को उनके   कुकार्य से और मंद आचरण से कोई बचा नहीं सकता I प्लेटो केबल दार्शनिक और विज्ञ व्यक्तियों के शासन सपक्स में थे। 

2.  State Controlled Education: राष्ट्र द्वारा नियंत्रित शिक्षा व्यवस्था:

इस शिक्षा व्यवस्था के अनुसार राष्ट्र में अधिक लोग दार्शनिक बन पाएंगे I इस शिक्षा व्यवस्था में संगीत, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र और ज्योतिष शास्त्र बारे में शिक्षा दिया जाता था I इस सारे शिक्षा लाभ करने से एक व्यक्ति के अंदर अंतर्निहित गुण विकसित होगा और वो एक आदर्श नागरिक हो पाएगा और एक आदर्श राजा भी हो पाएगा और राष्ट्र शासन अच्छे से कर पाएगा I 

3. Functional Specialisation: कार्य अनुसार श्रेणी विभाजन:

मनुष्य में 3 लक्षण होते हैं जथा विवेक ,मनोबल एवं तृषा इसके अनुसार प्लाटों मनुष्य समाज को 3 भाग में बाटी है  I 

•  Ruling class: शासक गोष्टी / दर्शनिक राजा: राष्ट्रीय शासन कार्य में नियुक्ति रहेंगे ) I शासक गोष्टी विवेक के प्रतिनिधित्व होते हैं I प्लेटो के अनुसार एह गोष्टी स्वर्ण प्रकृति I 

• Military class: सामरिक गोष्टी: सामरिक गोष्टी मनोबल को प्रतिनिधित्व करता है  I इस गोष्ठी की कार्य केवल राष्ट्र की सुरक्षा करना है प्लेटो के अनुसार इस गोष्टी चांदी प्रकृति होते हैं I

• Working class: श्रमिक गोष्टी: last में श्रमिक गोष्टी आते हैं तथ कृषक गोष्टी I  इन गोष्ठी का कार्य है कि राष्ट्र की भूख निवारण करना यानी कि उत्पादन कार्यों में नियुक्ति रहेंगे इस गोष्ठी को प्लेटो कॉपर प्रकृति के कहे हैं I 

प्लेटो के अनुसार विभिन्न लोगों की कार्य दक्षता अलग-अलग प्रकार होता है I कुछ लोग एक काम अन्य लोगों की तुलना में बेस अच्छे से कर सकते हैं I जो व्यक्ति जिस काम में अच्छा है उसे वही काम करना चाहिए इसमें अच्छा रिजल्ट  मिलता है I 

4. Justice: न्याय:

 प्लेटो के आदर्श राष्ट्र न्याय पर प्रतिष्ठित I न्याय बिना राष्ट्र कल्पना असंभव I philosopher king’s क्या फूल क्या ठीक, न्याय अन्याय के बारे में सटीकता से अवगत होते हैं I राष्ट्र  में न्याय का शासन प्रतिष्ठित ना हो तो समाज में अशांति, अराजकता, भ्रष्टाचार फैल जाएगा  उसके साथ साथ सामाजिक संहिता और एकता प्रतिष्ठित हो नहीं पाएगा I इसलिए plato एक आदर्श राष्ट्र में न्याय की प्रतिष्ठा में जोर दिए हैं I आदर्श राष्ट्र मनुष्य के शरीर हो तो न्याय मनुष्य की जीवन I 

5. Equality between men and women: नारी और पुरुषों के बीच में समानता:

 प्लांटों के आदर्श राष्ट्र में नारी और पुरुषों को एक  समान दर्जा दिया गया है  I नारी को स्वतंत्र रखा गया है I इसके वजह से राष्ट्र में जातीय एकता और  प्रतिष्ठा हो पाएगा I इसलिए प्लेटो दोनों नारी और पुरुषों की शिक्षा व्यवस्था की प्रचलन पर पक्षपात थे I 

6. Status of the laws: कानून की अवस्थित :

प्लाटों अपने आदर्श राष्ट्र में  कानून को इतने महत्व नहीं दिए हैं I प्लेटो के अनुसार आदर्श राष्ट्र में न्याय प्रतिष्ठित होने से समाज में शांति और श्रृंखला प्रतिष्ठित हो जाएगा I नागरिको के ऊपर कानून को बिठा देना आवश्यक नहीं है  I कानून की अवमानना उस समाज में होता है जिस समाज में न्याय प्रतिष्ठित नहीं हुआ है I 

7. Communism: साम्यवाद: 

आदर्श राष्ट्रीय में प्लेटो दो प्रकार की साम्यवाद की आलोचना की है- संपत्ति एवं नारी साम्यवाद I प्रत्येक मनुष्य के अंदर परिवार और संपत्ति की लत होती है I यहा संपत्त और परिवार समाज में दुर्नीति होने का कारण बनता है I प्लेटो के अनुसार एक दार्शनिक राजा अपने स्वार्थ को छोड़ के  राष्ट्र के हित के बारे में सोचना चाहिए I 

समापन

प्लेटो कौन है कौन थे उनकी दर्शन शास्त्रों का ज्ञान i hope आप कुछ समझ गए होंगे I उनकी जीवन के बारे में ज्यादातर कहीं पर इतना बताया नहीं गया है I प्लेटो के जीवन के बारे में थोड़ा जानकारी उपलब्ध है।

Categories: BIOGRAPHY

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