महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Biography in HINDI

दोस्तों आज हम जाने वाले हैं महादेवी वर्मा का जीवन परिचय के बारे में, उनके शिक्षा, परिवार, रचनाएं, पुरस्कार आदि के बारे में जानने वाले हैं. इसलिए हमारे यह Post में अंत तक जरूर बने रहे. उम्मीद करता हूं आपको यह आर्टिकल पसंद आएगा. तो ज्यादा समय गवाते नहीं शुरू करते हैं यह पोस्ट को.
महादेवी वर्मा कौन है?
1907 में जन्मी महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के छायावाद युग की एक प्रसिद्ध कवयित्री, निबंधकार, और हिंदी साहित्य की एक प्रख्यात लेखिका थीं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 1956 में पद्मभूषण और साल 1988 में पद्मा विभूषण से सम्मानित किया गया है।
आधुनिक युग की मीरा के रूप में परिचित है महादेवी वर्मा। छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक है महादेवी वर्मा जो कि अपने कविता के साथ-साथ रेखाचित्र के लिए भी प्रसिद्ध है। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma Biography in Hindi)
आधुनिक हिंदी साहित्य कविता में अपनी एक स्वतंत्र परिचय बनाने वाली तथा सत्याग्रह आंदोलन के समय कवि सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार पाने वाली महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन 26 मार्च 1907 में उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद में एक संपन्न साहू परिवार में हुआ था।
लेखिका महादेवी वर्मा के पिता जी का नाम गोविंद सहाय वर्मा है जो, एक वकील थे । और उनके माता श्रीमती हेमरानी देवी एक साधारण कवित्री महिला थी, जो कि भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थी। इसी कारण था जो आगे चलकर महादेवी वर्मा एक महान कवयित्री बनी।
महादेवी वर्मा की शिक्षा
महादेवी वर्मा जी की प्रारंभिक शिक्षा इंदौर से शुरू की और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 1919 में इंदौर से प्रयाग चली गई थी। पढ़ाई के दौरान, 9 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह श्री स्वरूप नारायण वर्मा से हो गया। उस समय स्वरूप नारायण वर्मा दसवीं कक्षा में थे। इसी करण से उन्हें कुछ समय के लिए अपनी पढ़ाई को रुकना पड़ा था।
साल 1920 में महादेवी जी ने प्रयाग से मिडिल पास किया. संयुक्त प्रांत के छात्रों में पहले स्थान हासिल किए थे. इसी वजह से उन्हें छात्रवृत्ति मिली थी. साल 1924 में वह हाई स्कूल परीक्षा में भी प्रथम स्थान से पास करके उसी प्रांत भर में सर्व प्रथम स्थान अधिकार करके फिर से छात्रवृत्ति मिलने में योग्यता हासिल की थी.
- साल 1926 में महादेवी वर्मा जी ने इंटरमीडिएट पास की थी।
- क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज से वर्ष 1928 में बीए की परीक्षा उत्तीर्ण हुई थी।
- 1933 में महादेवी जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में m.a. की परीक्षा में भी पास हुई थी। इस तरह से उनका विद्यार्थी जीवन बहुत सफल रहा।
वैवाहिक जीवन
उनके दादा बाबा बाबू बांके बिहारी जी ने 1916 में श्री स्वरूप नारायण वर्मा से उनका विवाह तय किया गया था। उस समय उन्हें विवाह के बारे में कुछ मालूम नहीं था। लेकिन 9 साल की उम्र में उनकी शादी करवा दी गई थी.
वह अपनी विवाह को लेकर कहते हैं – दादा ने पुण्य लाभ से विवाह रच दिया, पिताजी मना नहीं कर सके, बारात आई तो बाहर भाग कर सबके बीच खड़े होकर हम बारात देखने लगे। व्रत रखने के लिए कहा गया तो हम मिठाई वाले कमरे में बैठकर खूब मिठाई खाई थी। सोते समय आई ने गोद में लेकर हमें फेरे दिलवाए होंगे, हमें इस बारे में कुछ ध्यान नहीं है। जब आंख खुली, तो कपड़े में गांठ लगी देखी उसे खुलकर हम भाग गए।
पढ़ाई के दौरान महादेवी जी के प्रिय मित्र सुभद्रा कुमारी चौहान ने उनको बहुत प्रभावित किया था। सुभद्रा कुमारी चौहान भी एक विख्यात कवयित्री है। और उन्होंने महादेवी जी को आगे बढ़ने में एक बहन की तरह साथ निभाया था।
मृत्यु
महादेवी वर्मा जी का निधन 11 सितंबर 1987 को उत्तर प्रदेश के प्रयाग ( वर्तमान प्रयागराज) में हुआ था. महादेवी वर्मा छायावादी युग के हिंदी साहित्य के एक विख्यात कवियत्री थे. इसके अलावा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी उनका योगदान काफी बढ़ा रहा है।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय संक्षिप्त में
नाम | महादेवी वर्मा |
जन्मदिन | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश भारत |
पिता | गोविंद सहायक बर्मा |
माता | श्रीमती हेमरानी |
पति | डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा |
दादा | बांके बिहारी |
मृत्यु | 11 सितंबर 1987 |
मृत्यु स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
प्रारंभिक शिक्षा | इंदौर |
उच्च शिक्षा | प्रयाग |
उपलब्धियां | महिला विद्यापीठ की प्राचार्य, पद्मभूषण पुरस्कार, सेकसरीया तथा मंगला प्रसााद पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कार तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि |
कृतियाँ | निहार, नीरजा, रश्मि |
महादेवी वर्मा जी के साहित्यिक परिचय
महादेवी वर्मा जी बचपन से ही कविता लिखने की प्रति उत्साहित थे। महज 7 वर्ष की अल्पायु में ही महादेवी वर्मा जी ने कविताएं लिखना शुरू कर दिए थे। महादेवी वर्मा परिवार की सबसे लाडली पुत्री थी।
1907 में जन्मी महादेवी वर्मा एक सुविख्यात लेखिका और एक प्रसिद्ध कवियत्री थी साथ ही वो एक समाज सुधारक भी थी। महादेवी वर्मा उस समय महिलाओं को समाज में उनका अधिकार और उचित आदर सम्मान दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारी भी कदम उठाए थे। महादेवी जी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के ऊपर विशेष ध्यान दिए थे।
महादेवी वर्मा जी को आधुनिक काल के मीराबाई भी कहते थे। क्योंकि उनकी लेखनी में प्रेमी से बिछडने के कष्ट और बिरह, पीड़ा को काफी सुंदर और भावात्मक तरीके से वर्णन किया गया है। छायावाद युग के 4 स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा जी ने अपनी लेखनी से बहुत लोगों का दिल जीता है।
महादेवी जी ने साहित्य सेविका तो थी ही साथ ही समाज सेविका भी थी। उन्होंने अपनी काव्य तथा गद्दे के माध्यम से दलित , गरीब, चर्चित नारी, विधवाओं को प्रमुख विषय बनाकर नवजागरण का प्रयास किए थे।
महादेवी वर्मा जी की साहित्य सेवा और समाज सेवा को देखते हुए उन्हें कई सारे उपाधि और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।1956 में उन्हें पद्मभूषण और 1969 में डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत किया था।
महादेवी वर्मा की रचनाएं
महादेवी वर्मा छायावादी युग के एक महान लेखिका है जो अपनी लेखन से अपना एक अलग पहचान बनाए हैं. उन्होंने पद दिया कर दिया दोनों विभागों में अपना सामान योगदान दिए है.
• निहार– महादेवी जी का यह सर्वप्रथम काव्य संग्रह है। इस काव्य में 47 भावात्मक गीत है। यह काव्य संग्रह 1930 में प्रकाशित हुआ था।
• रश्मि– यह उनका दूसरा काव्य संकलन है जहां आत्मा परमात्मा के मधुर संबंधों पर आधारित 35 कविताएं संग्रहित है। और इसको 1932 में प्रकाशित किया गया था.
• नीरजा– महादेवी जी की रचित इस संग्रह में 58 गीत संकलित है, इनमें से अधिकांश गीत में विरह वेदना से परिपूर्ण है और कुछ गीतों में प्रकृति का मनोहर चित्र को वर्णन किया गया है।
• सान्ध्य गीत– यह 58 गीत एक संग्रह है। हां परमात्मा से मिलने का चित्रण किया गया है। 1936 में प्रकाशित एक संकलन है।
• दीपशिखा– महादेवी जी की यह एक रहस्य-भावना प्रधान 51 गीतों को संग्रहित किया गया संकलन है। जो साल 1942 में प्रकाशित हुआ था।
इसके अलावा महादेवी वर्मा जी ने बहुत सारी रचनाएं की है। जिनमें से है –सप्तपर्णा (अनूदित-1959), प्रथम आयाम (1974), अग्निरेखा (1990) आदि बहुत सारी रचनाएं उन्हें एक महान कवयित्री बनाती है।
रचनाएं ( कविता संकलन) | वर्ष |
निहार | 1930 |
रश्मि | 1932 |
नीरजा | 1933 |
संध्या गीत | 2935 |
दीप रेखा | 1942 |
प्रथम आयाम | 1949 |
सप्तपर्णा | 1959 |
अग्नि रेखा | 1988 |
गद्य साहित्य | संकलन एवं वर्ष |
रेखा चित्र | अतीत के चलचित्र (1961) , स्मृति की रेखाएं (1943) |
संस्मरण | पथ के साथी (1956) , मेरा परिवार (1972), संस्मरण (1943) |
वीडियो में जाने महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
महादेवी वर्मा जी को मिली उपाधी और पुरस्कार (Awards)
- साल 1943 में महादेवी जी को मंगलाप्रसाद पारितोषिक भारत भारती के लिए मिला।
- 1952 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए उन्हें मनोनीत किया गया था।
- 1956 में भारत सरकार ने हिंदी साहित्य की सेवा के लिए महादेवी वर्मा जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
- महादेवी वर्मा को 1988 मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार सम्मानित किया गया।
- साल 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय, 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय और 1984 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने महादेवी वर्मा को डी.लिट (डॉक्टर ऑफ लेटर्स) की उपाधि से सम्मानित किया था।
- 1934 में महादेवी जी को उनके रचित नीरजा के लिए सक्सेरिया पुरस्कार दिया गया था।
- 1942 में स्मृति की रेखाएं के लिए द्विवेदी पदक दिया गया।
- महादेवी वर्मा को यामा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अंतिम कुछ शब्द
यह थी दोस्तों छायावादी युग के एक महान हिंदी साहित्य लेखिका महादेवी वर्मा का जीवन परिचय । आशा करता हूं दोस्तों आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा ऐसे ही और प्रसिद्ध लोगों की जीवन परिचय पढ़ने के लिए हमारे दूसरे पोस्ट को भी जरूर विजिट करें और अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले।
FAQ
महादेवी वर्मा कौन है
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध लेखिका है. अपने अमूल्य साहित्य कृति के बदौलत वह पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. उन्हें पद्मा भूषण पद्मा विभूषण आदि पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. छायावाद युग के हिंदी साहित्य में एक महान लेखिका के रूप में परिचित है महादेवी वर्मा.
महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ था
26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था.
महादेवी वर्मा जी के पति का नाम क्या है?
1916 में महादेवी वर्मा जी की विवाह डॉ. स्वरूप नारायण बर्मा से कर दी गई थी। उस समय महादेवी जी केवल 9 साल की थी।
महादेवी वर्मा को कब पद्मभूषण से सम्मानित किया गया
1956 में भारत सरकार ने साहित्य की सेवा के लिए महादेवी वर्मा जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
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