Karl Marx Biography in HINDI | कार्ल मार्क्स जीवन परिचय

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Karl marx biography in hindi

विश्व की महापुरुषों की जीवनी में आज हम जानेंगे जर्मनी के एक विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक कार्ल मार्क्स के बारे में, कार्ल मार्क्स के जीवन परिचय के बारे में. विश्व प्रसिद्ध साम्यवाद के जनक कार्ल मार्क्स के बारे में इसमें पूरी डिटेल में जानेंगे।

कार्ल मार्क्स जी को दुनिया जानती है एक हिस्टोरियन, जनरलिस्ट, इकोनॉमिस्ट, राजनीतिक विचारक, सोशियोलॉजिस्ट, एक महान दार्शनिक के रूप में पूरे विश्व में उनकी पहचान है। उनके जीवनकाल में पैसों की बहुत कमी रही लेकिन आज भी उन्हें पूरी दुनिया का एक मोहन इनफ्लुएंसर फिगर के रूम में परिचित हैं।

Quick Biography of Karl Marx in hindi

नामकार्ल मार्क्स (Karl Marx)
जन्मतिथि5 मई 1818
जन्म स्थानट्राईयेर, रहेनिश प्रुशिया
पिता का नामहेईनरिच मार्क्स
माता का नामहेनरीएट प्रिजबर्ग
राजनीतिक पार्टी सोशलिस्ट रिवॉल्यूशनरी
पेशा (Profession) दार्शनिक,
राजनीतिक,
क्रांतिकारी,
जनरलिस्ट,
बुद्धिजीवी ,
समााजवादी,
इतिहाासकार एवं अर्थशास्त्री
उम्र64 वर्ष ( पूरे जीवन काल)
मृत्यु 14 मार्च 1883
मृत्यु स्थान लंदन

कार्ल मार्क्स के जीवन परिचय (Karl Marx Biography in Hindi)


कार्ल मार्क्स जर्मनी में ट्राईयेर, रहेनिश प्रुशिया (Trier, Rhenish Prussia) 5 मई 1818 को जन्म हुए थे। उनके पिता हेईनरिच मार्क्स पेशे में एक वकील थे जोकि प्रुसिया के लिए होने वाले आंदोलन में भी भाग लिया था और माँ हेनरीएट प्रिजबर्ग एक होलेन्ड की डच महिला थी। उनके माता-पिता दोनों rabbis के वंशज थे। कार्ल मार्क्स अपने माता-पिता के 9 बच्चों में पहले जीवित संतान थे।

कार्ल मार्क्स के माता-पिता यहूदी धर्म से थे और उन्होंने यहूदी धर्म से जुड़ी शिक्षा लोगों को देते थे । हालांकि यह वजह से मार्क्स को बाद में समाज में भेदभाव जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ा था।

देखा जाए तो कार्ल मार्क्स का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था लेकिन 1824 में उनके परिवार ने यहूदी धर्म से ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया।

कार्ल मार्क्स के शिक्षा


पढ़ाई में कार्ल मार्क्स बचपन से इतने होशियार नहीं थे, बल्कि वो एक मध्यम दर्ज के छात्र थे। अपने शुरुआती पढ़ाई घर में रहकर ही की थी। बाद में उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई ट्रायर के जेस्युट हाईस्कूल से की थी। फिर उन्होंने अपने दर्शन और साहित्य की पढ़ाई के लिए 1835 में 17 साल की उम्र में बाॅन यूनिवर्सिटी  में एडमिशन लिया था।

बाॅन विश्वविद्यालय में साहित्य और दर्शनशास्त्र पढ़ने के लिए वह एडमिशन लिए थे लेकिन अपने पिता के अनुरोध योग वह कानून का अध्ययन किया। 1836 में मार्क्स ने बर्लिन विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया.

कार्ल मार्क्स हीगेल के दर्शन प्रति काफी आकर्षित हुए थे. हीगेल के दर्शन को वह बहुत अध्ययन किए थे। इसीलिए कार्ल मार्क्स के दर्शन में हीगेल का प्रभाव दिखाई देती है।

कार्ल मार्क्स के वैवाहिक जीवन


कार्ल मार्क्स की सगाई 1836 में जेनी वोनवेस्टफालेन नामक एक महिला से हो गई थी लेकिन मार्क्स के गैर जिम्मेदाराना रोते हुए को देखते हुए उनके पिता बहुत गुस्से हुए थे और उन्होंने अपने बेटे को समझाते हुए कहा उनकी पत्नी कूलीन वर्ग से संबंधित रखती है। वह भी जिम्मेदाराना व्यवहार करें इसके पश्चात भी उनके शादी को लगभग 7 से 8 वर्ष लग गए।

कार्ल मार्क्स ने 1843 को शादी की और शादी के बाद वह दोनों पेरिस चले गए थे। शादी के बाद दोनों के 7 बच्चे हुए थे।

वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नीजेनी वोन वेस्टफलेन
(Jenny von Westphalen)
विवाह वर्ष1843
पुत्रीएलेनर मार्क्स(Eleanor Marx),
लौरा मार्क्स ( Laura  Marx),
जेनी मार्क्स लोंग्युएट (Jenny Marx Longuet),
हेलेन डेम्युथ (Helene Demuth),
जेनी एवेलिन फ्रांसिस मार्क्स(Jenny Eveline Frances Marx)
पुत्रएडगर मार्क्स (Edgar Marx)

कार्ल मार्क्स के कैरियर (पत्रकारिता)

1842 में कार्ल मार्क्स ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकारिता के रूप में शुरू किया फिर उन्होंने रहेइन्स्चे ज़ितुंग नाम के न्यूजपेपर में एक एडिटर के तौर पर काम किया।

एडिटर के रूप में करीब 1 साल उन्होंने काम किया फिर उनकी शादी हो गई 1843 में. शादी के बाद कार्ल मार्क ने इस्तीफा दे दिया और वह अपने पत्नी के साथ पेरिस चले गए।

1843 में पेरिस यूरोप का राजनीतिक केंद्र था। वहां, अर्नोल्ड रूज के साथ, मार्क्स ने Deutsch-Französische Jahrbucher (जर्मन-फ्रांसीसी इतिहास) नामक एक राजनीतिक पत्रिका की स्थापना की। मार्क्स और रूज के बीच दार्शनिक मतभेदों से पहले केवल एक ही मुद्दा प्रकाशित हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप इसका निधन हो गया, लेकिन 1844 के अगस्त में, पत्रिका ने मार्क्स को एक योगदानकर्ता, फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ लाया, जो उनके सहयोगी और आजीवन मित्र बन गए। दोनों ने मिलकर एक युवा हेगेलियन और मार्क्स के पूर्व मित्र ब्रूनो बाउर के दर्शन की आलोचना लिखना शुरू किया। मार्क्स और एंगेल्स के पहले सहयोग का परिणाम 1845 में द होली फैमिली के रूप में प्रकाशित हुआ था।

कुछ  वर्ष बाद, मार्क्स एक अन्य कट्टरपंथी समाचार पत्र, वोरवर्ट्स के लिए लिखते समय फ्रांस से निष्कासित होने के बाद बेल्जियम चले गए, जिसका एक संगठन से मजबूत संबंध था जो बाद में कम्युनिस्ट लीग बन गया।

बेल्जियम के ब्रासिल आने के बाद कार्ल मार्क्स ने जर्मन वक॔स॔ पार्टी की स्थापना की और कम्युनिस्ट लीग में अपने काम को सक्रिय रखे थे। वहां मार्क्स ने बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के साथ काम किया और अपने मित्र एंजेल्स के साथ मिलकर अपने जीवन का और एक सर्वश्रेष्ठ पुस्तक लिखा द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो यह 1848 में प्रकाशित हुआ था । इसमें लिखा था “दुनिया की श्रमिक एकजुट हो । आपके पास आपने जंजीरों को खाने के अलावा कुछ नहीं है” 

फ्रांस की तरह कार्ल मार्क्स को बेल्जियम से भी निर्वासित कर दिया गया। आखिरकार वह लंदन में बस गए वहां अपनी आखिरी  सांस तक एक निर्वाचित के रूप में बस गई।

कार्ल मार्क्स की मृत्यु (Karl Marx ‘s Death in Hindi)

कार्ल मार्क्स की  मौत 1883 मार्च 14 को लंदन शहर में हुई थी पहले उनके वास्तविक मकबरे पर केब्व्ल एक पत्थर था जो आगे जाकर  1954 में ग्रेट ब्रिटेन ने एक बड़ा सा मकबरा बनवाया. इसी के साथ एक महान दार्शनिक की जीवनी यहीं खत्म होती है।

FAQs

Q. कार्ल मार्क्स कब जन्म हुए थे ?

कार्ल मार्क्स 5 मई 1818 को जर्मनी में जन्म हुए थे।

Q. कार्ल मार्क्स के पत्नी कौन है?

कार्ल मार्क्स के पत्नी का नाम जेनी वोन वेस्टफलेन है। उन्होंने 1843 को शादी किए थे। उन दोनों के 7 बच्चे हुए ।

Q. कार्ल मार्क्स की मृत्यु कहां हुई?

कार्ल मार्क्स का मृत्यु लंदन में हुआ था. वह अपने जीवन के अंतिम वर्ष लंदन में ही रहे और सन 1883 मार्च 14 तारीख को उनका निधन हो गया.

कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो कब प्रकाशित हुआ था

1848 में प्रकाशित दो कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो कार्ल मार्क्स का सर्वश्रेष्ठ पुस्तक था।

Categories: BIOGRAPHY

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