जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Jaishankar Prasad Biography in Hindi

स्वागत है दोस्तों, आज हम पढ़ने जा रहे हैं छायावाद युग के मुख्य प्रवक्ता में प्रमुख जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय के बारे में. जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के आज तक के महानतम लेखकों और कवियों में से एक माने जाते हैं। तो चलिए दोस्तों जानते हैं हिंदी साहित्य के द्वारा कहे जाने वाले जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय के बारे में विस्तार से।
जयशंकर प्रसाद कौन थे?
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध महानतम लेखकों और कवियों में से एक है। जयशंकर अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य में क्रांति ला दी। उन्हें छायावाद युग के जनक कहा जाता है। जयशंकर प्रसाद एक प्रसिद्द नाटककार, हिन्दी कवि, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। जयशंकर प्रसाद साहू छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला,एवं सुमित्रानंदन पन्त) में से एक थे।
जयशंकर प्रसाद – एक ऐसे साहित्यकार जिन्होंने हिंदी साहित्य के दिशा और दशा को बदलने का कार्य किया. दोस्तों आज एक प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर जी हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएं, निर्बंध, नाटक केवल भारत में ही नहीं विश्व भर के साहित्य प्रेमी के हृदय में हमेशा जीवित है।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय – (jaishankar prasad ka jivan parichay)
छायावाद युग के जनक जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 ईस्वी को गुरुवार के दिन काशी (वर्तमान वाराणसी) के सरायगोवर्धन में हुआ था. जयशंकर प्रसाद जी के पिता देवी प्रसाद साहू के यहां कलाकारों, विद्वानों का बड़ा सम्मान होता था। उनके दादा बाबू शिवरतन साहू दान देने के लिए काशी में काफी प्रसिद्ध है।
उनके पिता बाबू देवी प्रसाद कलाकारों का बड़ा ही आदर करते थे। उनका तंबाकू और खुशबू का व्यापार था। उनका वाराणसी में काफी प्रसिद्ध व्यापारियों में नाम लिया जाता था। जय शंकर का जन्म वाराणसी की प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। उनका पूरा परिवार सुँघनी साहू नाम से प्रसिद्ध था।
कम उम्र में ही जयशंकर प्रसाद को बड़ी-बड़ी पारिवारिक समस्याओं से लड़ना पड़ा था। बचपन में ही वह अपने माता-पिता को खो दिए थे। जब वह 8 साल के थे तब उनके मां का देहांत हो गया। फिर 10 साल की उम्र में उसके पिता बाबू देवी प्रसाद साहू का भी स्वर्गवास हो गया।
जयशंकर प्रसाद बचपन में ही बहुत सारे दुखदाई परिस्थिति से गुजरे थे। जयशंकर किशोरावस्था में पहुंचते-पहुंचते उनके बड़े भाई भी स्वर्ग सिधार गए थे।
शिक्षा
जयशंकर प्रसाद का लालन-पालन पर शिक्षा दीक्षा का प्रबंध उनके बड़े भाई शम्भूरत्न जी ने किए थे। उनका प्रारंभिक शिक्षा क्वीन्स कॉलेज से ही शुरू हुई थी। लेकिन स्कूल की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा। इसलिए फिर उनके पढ़ाई घर पर ही व्यापक बंदोबस्त किया गया था। वह हिंदी, संस्कृत, फारसी तथा अंग्रेजी का अध्ययन किया था।
जयशंकर प्रसाद के संस्कृत के अध्यापक दिनाबंधु ब्रह्मचारी जैसे महान विद्वान थे। उनकी गुरुओं में ‘रसमय सिद्ध’ की भी बातें की जाती है। उनके पिता देवी प्रसाद जी कला और कलाकारों का काफी सम्मान करते थे, बहुत से कलाकारों को घर में बुलाते थे। जिसके कारण जयशंकर प्रसाद को प्रारंभ से ही कला के प्रति रुचि थी।
जयशंकर बचपन से ही कला और संस्कृति के प्रति काफी रूचि रखते थे। उन्होंने वेद, पुराण, इतिहास तथा साहित्य शास्त्र का उनका गहन अध्ययन था। वह 9 वर्ष की उम्र में ही कल आधार नाम के एक सवैया रचना किए थे।
वैवाहिक जीवन
जयशंकर प्रसाद जी ने तीन शादियां की थी। लेकिन दुर्भाग्य तथा उनके तीन पत्नियां असमय में ही स्वर्ग सिधार गए थे।
मृत्यु
15 नवंबर 1947 सोमवार के दिन केबल 47 साल में ही क्षय रोग के कारण उनका निधन हो गया। उनका निधन स्थल काशी था।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय संक्षिप्त में
लेखक के नाम | जयशंकर प्रसाद साहू |
जन्म स्थान | काशी |
जन्म | 30 जनवरी 1889 |
पिता | देवी प्रसाद साहू |
माता | मुन्नी देवी |
शिक्षा | हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी उर्दू फारसी |
साहित्य में परिचय | छायावाद युग के प्रवर्तक – (महान कवि, सफल नाटककार, श्रेष्ठ निर्बंधकार, उपन्यासकार तथा कहानीकार) |
लखन विघा | काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध |
मृत्यु | 15 नवम्बर, 1937 |
छायावाद के जनक तथा प्रतिष्ठाता
जयशंकर प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य में छायावाद की स्थापना की थी। उनकी सर्वप्रथम छायावादी रचना ‘खोलो द्वार ‘इंदु में सन 1914 को प्रकाशित हुआ था। वह केवल छायावाद के प्रतिष्ठापक ही नहीं बल्कि सरस संगीत में गीतों को लिखने वाले श्रेष्ठ कवि भी है।
प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने कलम साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में चलाए हैं। हिंदी साहित्य में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। वह महान कवि, सफल नाटककार, श्रेष्ठ निर्बंधकार, उपन्यासकार तथा कहानीकार थे। उनके रचनाएं केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व के पाठकों के मन में एक स्वतंत्र छवि बनाए हुए हैं।
जयशंकर प्रसाद जी की रचनाएं
जयशंकर प्रसाद जी हिंदी साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन किया है, और हिंदी साहित्य को एक अत्यंत समृद्ध क्या है। वह हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएं पाठकों के हृदय में सदा जीवित रहेगी।
काव्या | कामायनी, आँसू, चित्राधार, लहर और झरना। |
निर्बंध | काव्य-कला एवं अन्य निबन्ध |
उपन्यास | तितली, कंकाल और इरावती। |
कहानी | आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि। |
नाटक | सज्जन, कल्याणी परिणय, स्कन्दगुप्त, चन्द्रगुप्त, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ, प्रायश्चित, विशाखा, ध्रुवस्वामिनी आदि। |
अंतिम शब्द
बांग्ला साहित्य में रविंद्र नाथ टैगोर को जिस तरह पहचानते हैं उसी तरह हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का दिन अतुलनीय है। जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय के बारे में एक छोटी सी आर्टिकल, आशा करता हूं आपको आर्टिकल पसंद आया होगा। और प्रसिद्ध लोगों की जीवन परिचय के बारे में जानने के लिए हमारे दूसरे पोस्ट को भी जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले।
FAQ
जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था
30 जनवरी 1889 ईस्वी को गुरुवार के दिन काशी (वर्तमान वाराणसी) के सरायगोवर्धन में हुआ था.
Q. जयशंकर प्रसाद का आयु।
48 वर्ष की आयु में उनकी टीवी बीमारी से मृत्यु हुई.
Q. जयशंकर प्रसाद का लिखी नाटक कौन सा है?
सज्जन, कल्याणी परिणय, स्कन्दगुप्त,
चन्द्रगुप्त, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ आदि उनकेेेे प्रमुख नाटकों में से है।
जयशंकर प्रसाद का निधन कब हुआ
15 नवंबर 1936
0 Comments