हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय | Hajari Prasad ka Jivan Parichay

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हिंदी भाषा के श्रेष्ठ निम्बंधकर एवं उपन्यासकार भारतीय संस्कृति के पुतिन व्याख्याता आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 में बलिया जिले के ‘दुबे का छपरा‘ नामक गांव में हुआ।

संस्कृत और ज्योतिष का ज्ञान इन्हें उत्तराधिकार में अपने पिता अनमोल द्विवेदी से प्राप्त हुआ।  हजारी प्रसाद द्विवेदी का बचपन का नाम ‘वैध्यनाथ’ था। इन्हे साहित्य के आदिकाल के नाम से भी जानते है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय – Hajari Prasad ka Jivan Parichay

हजारी प्रसाद द्विवेदी के परिवार में संस्कृत भाषा का प्रकोप ज्यादा होने के कारण सबसे पहले उन्होंने संस्कृत भाषा का अध्ययन किया इन्होंने काशी विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर रखी है। कुछ समय के बाद यह शांति निकेतन चले गए और वहां हिंदी भवन के निदेशक पद के रूप में कार्य करते रहें ये साहित्य साधना की ओर भी आकर्षित हुए थे।

इन्होंने काशी विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया इसके अलावा यह से 1 वर्ष पहले लखनऊ विश्वविद्यालय से डि.लिट. की उपाधि से सम्मानित हुए।

भारत सरकार ने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी को ‘पद्मभूषण’ अलंकार से सम्मानित किया हुआ है। कुछ दिनों तक इन्होंने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया।

दोस्तों इन्होने अपने लेखन से देश मे अपनी एक अलग पहचान बनाई। हजारी प्रसाद द्विवेदी को खड़ी बोली के प्रथम लेखक भी माने जाते है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपना इस प्रकार का जीवन यापन करने के बाद जब वह 71 वर्ष के थे तो दिल्ली में 19 मई 1979 को उनका देहांत हो गया।

हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की शिक्षा

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ग्रामीण विद्यालय से की तथा उसके बाद इन्होने अपनी संस्कृत की पढ़ाई ब्रह्मचर्य आश्रम में पूर्ण की थी। जहां वे संस्कृत पाठशाला मे प्रथम स्थान के साथ उतीर्ण हुए थे इसके बाद वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए सन् 1923 मे काशी मे चले गए थे सन् 1927 मे इन्होने अपनी उच्च शिक्षा बनारस  के शांति निकेतन हिंदु विश्वविद्यालय से की थी।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने लेखन मे पशु-पक्षियो, पेड-पौधो, मानव तथा प्रकृति से जुड़े अनेक ललित निबंधो की रचना की हुई है इन्होने हर क्षेत्र मे निबंध तथा उपन्यास के मध्यम से अपने मनमोहित तथा सरल भाषा मे विचार प्रस्तुत किये जिससे लोगों के दिलों में एक गहरा स्थान बनाया है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने विभिन्न विषयों पर निबंध व रचनाएं लिखकर के हिंदी साहित्य के खजाने को समृद्ध किया है हजारी प्रसाद द्विवेदी आधुनिक हिंदी साहित्य के महान हस्ताक्षर थे जिनकी रचना वर्तमान पीढ़ी के लिए भी मार्ग दर्शन का कार्य कर रही है जो विभिन्न प्रकार से उल्लेखित है-

(A) कहानियां-

हजारी प्रसाद द्विवेदी की कहानियाँ कालातीत कहानियाँ हैं जो समाज में अपनी प्रासंगिकता के कारण आज भी पाठकों के मन में गूंजती रहती हैं जो निम्न है-
✓ संस्कृतियों का संगम
✓ समलोचक की डाक
✓ महिलाओं की लिखी कहानियां
✓ केतुदर्शन
✓ ब्रह्माण्ड का विस्तार
✓ वह चला गया
✓ साहित्य संस्थान क्या कर सकते हैं
✓ हम क्या करें
✓ धर्मत्य तत्वं निहितम् गुह्यम्
✓ मनुष्य की सर्वोत्तम कृति: साहित्य।

(B) पुस्तकें-

हजारी प्रसाद द्विवेदी की पुस्तकें जातिवाद, सांप्रदायिकता, गरीबी और लैंगिक असमानता जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए और उनके समाधान सुझाते हुए एक बदलाव लाने का प्रयास किया है।

उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति के बारे में भी अपनी पुस्तकों में लिखा है,  जिससे उनकी विशाल साहित्यिक विरासत को बढ़ावा मिला है तथा इनकी निम्न पुस्तकें हैं-
✓ विचार प्रवाह
✓ मंत्र तंत्र
✓ मेघदूत एक पुरानी कहानी
✓ सहज साधना
✓ भाषा साहित्य और देश
✓ सिख गुरुओं का पुण्यस्मरण
✓ कश्मीरी रामावतार चरित्र
✓ राम कथा
✓ महापुरुषों का समरण
✓ पत्र कला
✓ पदार्थ शास्त्र
✓ संदेश रसक
✓ प्लेटो गणराज्य

(C) उपन्यास-

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उपन्यास सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा और कड़ी मेहनत के साथ काम किया है इनके उपन्यास हिंदी साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण में से एक माना जाता है जो कई फिल्मों और मंचीय नाटकों में रूपांतरित हुए है जो निम्न है-
✓ चारुचंद्रलेख
✓ बनभट्ट की आत्मकथा
✓ पुनर्नवा
✓ अनामदास का पोथा

(D) निबंध-

हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध ‘कामायनी’ उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक माना जाता है ये भारत में जाति व्यवस्था की आलोचना करते थे और निम्न वर्गों मैं हो रहे शोषण को समाप्त करने का कारण भी बने इस निबंध के अलावा उन्होंने धर्म और राजनीति जैसे विषयों पर निबंध भी लिखे वह भारत में सामाजिक सुधार के हिमायती थे और उनके कार्यों का भारतीय समाज पर स्थायी रूप से प्रभाव पड़ा हैं जो इनके निम्न निबंध है-
✓ कल्पलता
✓ अशोक के फूल
✓ कुटज
✓ नखून क्यों बढ़ते हैं
✓ आलोक पर्व
✓ विचार और वितर्क

हजारी प्रसाद द्विवेदी कार्यशैली ?

हजारी प्रसाद द्विवेदी एक बहुमुखी लेखक थे जिन्होंने उपन्यास, लघु कथाएँ, नाटक और निबंध लिखे वे किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले गहराई से शोध करने में भी विश्वास रखते थे, ताकि वे अपने लेखन में सटीक जानकारी प्रदान कर सकें। उनके कार्यों ने अक्सर उस समय के सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला और उन्होंने बिना किसी पूर्वाग्रह के उनकी आलोचना करने के लिए व्यंग्य का इस्तेमाल किया यही कारण है कि हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाओं को आज भी आधुनिक हिंदी साहित्य में सर्वश्रेष्ठ के रूप में याद किया जाता है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी की भाषा शैली

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की भाषा का पूर्ण स्वरुप प्रभाव मिला है और उनकी भाषा सर्वदा उनकी लेखनी की पहचान रहीं है उन्होंने शुद्ध एवं साहित्यिक भाषा का ही साहित्य में प्रयोग किया है उन्होंने संस्कृत के तत्सम, अंग्रेजी और अरबी, फारसी व देशज शब्दों को भी अपनाया है इस प्रकार उनकी भाषा परिनिष्ठित, संस्कृत, व्याकरण के अनुशासन से अनुशासित, विषय अनुकूल,भावुकता एवं कविता पर भरमार प्रकाश डाला है

आचार्य द्विवेदी जी की शैली उनके व्यक्तित्व का आदर्श रूप है  उनके साहित्य में गंभीर विषयों के बीच- बीच में हास्य व्यंग के विचार मिलते हैं उनके नाटय शैली हिंदी साहित्य के लिए वरदान स्वरूप है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनमोल वचन

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने प्रिय वचनों से लोगों को एक विशेष पहचान दी है जिससे वे अपने जीवन में अपने बलबूते अपने कदमों पर अपने देश और समाज का नाम रोशन कर सके जो निम्न है-


✓ बड़ा काम करने के लिए बड़ा हृदय होना चाहिए
✓ जिनके भीतर आचरण की दृढ़ता रहती है, वे ही विचार में निर्भीक और स्पष्ट हुआ करते हैं
✓ प्रेम संयम और तप से उत्पन्नहोता है भक्ति साधना से प्राप्त होती है, श्रद्धा के लिए अभ्यास और निष्ठा की ज़रूरत होती है
✓ मनुष्य के दु:ख से दुखी होना ही सच्चा सुख है
✓ सत्य वह नहीं है जो मुख से बोलते हैं सत्य वह है जो मनुष्य के आत्यंतिक कल्याण के लिए किया जाता है।

उपसंहार

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपने साहित्य में व्यक्ति को प्रत्येक क्षण में धैर्यवान और कर्तव्य शील बने रहने के लिए प्रेरित किया है। और इस स्थिति में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने महात्मा गांधी जी की स्मृति को याद करते हुए कहा है कि व्यक्ति को शारीरिक बल से ज्यादा आत्मबल को महत्व देना चाहिए और इन शब्दो का प्रयोग उन्होंने अपने निबंध ‘शिरीष नामक पुष्प’ में किया है।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने साहित्य का प्रयोग अपने ज्ञान के साथ ही अन्य महान साहित्यकारों के साहित्य के गुणों को अपनाकर किया है और एक महत्वपूर्ण स्थान बना कर अपना नाम साहित्य की दुनिया में चमकाया है। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा हिंदी में किए गए उनके कार्य आज भी हम सबको उनकी विद्वता का दर्शन कराता है।

FAQ

डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी कौन थे ?

एक हिंदी उपन्यासकार, साहित्यिक इतिहासकार, निबंधकार विद्वान थे।

Q. हजारी प्रसाद द्विवेदी क्यों प्रसिद्ध है ?

क्योंकि हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और बांग्ला भाषाओं के विद्वान थे तथा भक्तिकालीन साहित्य का उन्हें अच्छा ज्ञान था।

Q. भगवान से पहले कौन था ?

शिव को आदि अनंत कहा गया है अर्थात जिस का कोई शुरुआत न हो और न ही जीस का कोई अंत हो।

Q. “अशोक के फूल” के लेखक का नाम क्या है ?

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी।

Q. हजारी प्रसाद द्विवेदी की भाषा शैली क्या है ?

खड़ी बोली हिन्दी।

Q. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को क्या कहा है ?

भाषा का डिक्टेटर।

Categories: BIOGRAPHY

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