आचार्य चाणक्य- कौटिल्य जीवन परिचय | Chankya Biography in Hindi

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एक महान कूटनीतिज्ञ के रूप में परिचित और अर्थशास्त्र  पुस्तक का रचयिता कौटिल्य जिसकी दर्शन मानव जीवन को उत्तम बना देता है। महर्षि मनु के बाद अनेक सरिया के वाद कौटिल्य इस धरती पर आए थे। कौटिल्य एक महान प्राचीन राजनीतिक दार्शनिक के रूप में पूरी दुनिया में परिचित है।

हेलो दोस्तों आज यहां लेट में हम जाने वाले हैं कौटिल्य के अर्थशास्त्र पुस्तक के बारे में कुछ जानकारी। कौटिल्य के बारे में तथा उनके दर्शन के बारे में ज्यादातर बातें उनकी लिखी गई पुस्तक अर्थशास्त्र से ही मिलती है। यह लेख में देखेंगे कौटिल्य शासन के बारे में उनकी क्या विचार रही है और विदेशी कानून के बारे में क्या बताएं है। अर्थशास्त्र में वर्णन की गई सामाजिक चित्र के बारे में जानेंगे।

कुर्तियों के जीवनकाल 400 ईसा पूर्व से 320 ईसा पूर्व तक माना जाता है। वह समय बहुत सारे राजाओं और शासन के बारे में अवगत रहे हैं । मगध में चली आ रही धनानंद की कूशासन व्यवस्था को उखाड़ फेंकने में कौटिल्य की हाथ रही है और मगध में सुशासन व्यवस्था स्थापित कराई थी।

अर्थशास्त्र में बताई गई शासन व्यवस्था के बारे में

कौटिल्य राज्य के समस्त शासन व्यवस्था को केंद्रीभूत किए थे। यानी कि राज्य की समस्त शासन क्षमता केवल राजा के पास होगा यह जरूरी नहीं । पहले राज्य की सभी शासन क्षमता केवल राजा के पास होता था। लेकिन कौटिल्य कहते हैं राजा खुद शासन कार्य अकेले कर नहीं पाएंगे इसलिए राजा कुछ मंत्री नियुक्ति करेंगे एवं राष्ट्र के गुरुत्व फूल विषय में उनसे परामर्श ग्रहण करेंगे। कौटिल्य के अनुसार शासन जेसी गुरुत्व पूर्ण विषय एक व्यक्ति के हाथ मी नहीं रहके विद्वान मंत्री परिषद के हाथ में रहना उचित है।

कौटिल्य मंत्री के बारे में बताते हुए कहा है कि मंत्री का स्वदेशी होना चाहिए और उच्च कुल संपन्न, कला और दूरदर्शी विद्या में पारंगत, बिंदु , साधु, खुले दिल वाला, हिम्मतवाला, सेवक, अच्छे चरित्र होना आवश्यक है। इसके अलावा वह मंत्री लोगों की श्रेणी विभाग और उनके धर्म के बारे में भी वर्णन की है। खुद चाणक्य तथा कौटिल्य राजा चंद्रगुप्त के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त थे।

मंत्रिपरिषद की निष्पत्ति गुप्त रूप से किया जाता है। इसलिए राजा के पास एक अंतः कैबिनेट होता है फुल सॉन्ग इसका विनीत तीन से चार मंत्री को लेकर गठन किया जाता है।

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